चीन ने बदल डाला संविधान,राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की बाध्यता ख़त्म,शी जिनपिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ़,
संसद में दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ विधेयक

बीजिंग: चीन ने अपने संविधान में बड़ा बदलाव कर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल को लेकर बाध्यता को ख़त्म कर दिया है। संसद में दो तिहाई बहुमत से पारित हुए इस विधेयक के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आजीवन देश का राष्ट्रपति बने रहना का सपना साकार हो सकेगा। इस बदलाव के बाद चीन में सीमित दस साल तक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की बाध्यता खत्म हो गयी।
बतादें कि रविवार को चीनी संविधान में ऐसा बड़ा बदलाव किया गया है, इसी चीन में नया संविधान भी मान सकते हैं। देश की सत्ताधारी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ने देश पर राज करने वाले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के सीमित दो कार्यकाल की बाध्यता को खत्म कर दिया है। संसद में हुई कम्युनिस्ट पार्टी ने दो तिहाई बहुमत से इस बाध्यता को संविधान से हटा दिया है। अभी तक चीन में कोई भी एक नेता लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता था। लेकिन अब चीन में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकाल या दस साल की निर्धारित सीमा समाप्त कर दिया गया है।
चीन में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए समय सीमा का प्रावधान देश के सम्मानित नेता देंग शियोपिंग ने की थी। उन्होंने यह कदम माओत्से तुंग जैसे नेता द्वारा देश की सत्ता को हथियाने के डर को देखते हुए बदलाव किया था, जिसमें उपराष्ट्रपति के लिए दो अधिकतम कार्यकाल यानी 10 साल तक सत्ता में रहने की सीमा तय की गयी थी।
वहीँ अब देंग के नियम को बदल दिया गया है। रविवार को चीन की संसद ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ़ करते हुए दो कार्यकाल की अनिवार्यता को दो तिहाई बहुमत से खत्म दिया है। पार्टी के प्रस्तावों को समर्थन करते रहने के कारण करीब तीन हजार सदस्यों वाली संसद नैशनल पीपल्स कांग्रेस को अक्सर रबर स्टांप संसद कहा जाता है। रविवार को आयोजित हुए सत्र में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्ताव पर देश की संसद ने मुहर लगा दी है।
जिसके बाद देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की बाध्यता खत्म हो गयी। ज्ञात हो कि देश में शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद उनका लगातार कद बढ़ा है, पार्टी में सर्वोच्च नेता का उन्हें खिताब पहले ही दिया जा चुका है। वहीँ पार्टी द्वारा उनकी किसी बात को अनसुना नहीं किया गया है। खासकर शी जिनपिंग को भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कड़े कानून लाने के लिए जाना जाता है, शी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शी के प्रस्ताव पर सीपीसी ने संविधान बदल डाला।


