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उर्दू की गुमनाम शख्सियतों पर शाया होंगी किताबें : पूर्व डीजीपी एम. डब्ल्यू. अंसारी

नई नस्ल तक उर्दू कैसे पहुंचे इस पर विचार विमर्श हुआ,

(लखनऊ)

छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यू.अंसारी ने अपने बयान में कहा है  कि उर्दू भारत की ज़ुबान है और जंगे आजादी में उर्दू ज़ुबान का बहुत बड़ा रोल रहा है इसके राइटर्स उर्दू के काम करने वाले आज हाशिए पर हैं उन्होंने अपील की है कि मुल्क भर में जिन जिन लोगों को उर्दू के साथ ही राइटर्स के बारे में जानकारी हों और वह गुमनाम हो गए हैं उनके बारे में किताब शाया नहीं हुई हों तो उन तक उनकी जानकारी और फोटो भेजें मैं यह जिम्मेदारी बखूबी निभा लूंगा।और उनके बारे में उनकी तारीख हिस्ट्री को शाया खाऊंगा।

तनवीर अहमद सिद्दीकी सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट के ऑफिस बर्लिंगटन चौराहे पर एक मीटिंग हुई। जिसमें मेहमान खुसूसी की हैसियत से छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यू.अंसारी ने शिरकत की।
नई नस्ल तक उर्दू कैसे पहुंचे इस पर विचार विमर्श भी हुआ।आगामी दिनों में लखनऊ में एक बड़े सेमिनार का निर्णय लिया गया। पूर्व डीजीपी ने उर्दू ही भारत है और भारत ही उर्दू है का स्लोगन भी दिया। आजकल पूर्व डीजीपी एम. डब्ल्यू. अंसारी लखनऊ के दौरे पर हैं और उर्दू के बारे में काम कर रहे हैं और उसके लिए मीटिंग में आए हुए सभी लोगों ने उनके इस कार्य की सराहना की। और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का वादा भी किया। मीटिंग में शिरकत करने वाले लोगों में शायर सैफ बाबर साहब,आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी, पत्रकार जैद अहमद फारुकी, खालिद आजमी नदवी, उस्मान सिद्दीकी, आमिर महफूज, उस्मान किदवई, शाह आलम चंबली, मोहम्मद इरफ़ान,शम्स तबरेज मोहम्मद सफीर सिद्दीकी वगैरह ने शिरकत की।

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