इस्लाम धर्म

एकेश्वरवादी धर्म

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद साहब द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं।

इस्लामी आस्था

इस्लामी धर्म के प्रमुख मत यह हैं:

ईश्वर की एकता

मुसलमान एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे अल्लाह (फ़ारसी: ख़ुदा) कहते हैं। एकेश्वरवाद को अरबी में तौहीद कहते हैं, जो शब्द वाहिद से आता है जिसका अर्थ है एक। इस्लाम में ईश्वर को मानव की समझ से परे माना जाता है। मुसलमानों से इश्वर की कल्पना करने के बजाय उसकी प्रार्थना और जय-जयकार करने को कहा गया है। मुसलमानों के अनुसार ईश्वर अद्वितीय है – उसके जैसा और कोई नहीं। इस्लाम में ईश्वर की एक विलक्षण अवधारणा पर बल दिया गया है और यह भी माना जाता कि उसका सम्पूर्ण विवरण करना मनुष्य से परे है।

नबी (दूत) और रसूल

इस्लाम के अनुसार ईश्वर ने धरती पर मनुष्य के मार्गदर्शन के लिये समय समय पर किसी व्यक्ति को अपना दूत बनाया। लगभग सन्सार मे 124,000 नबी (दूत) एक खुदा को पूजने का सन्देश देने के लिये भेजे गये थे। यह दूत भी इन्सनों में से होते थे और ईश्वर की ओर लोगों को बुलाते थे। ईश्वर इन दूतों से विभिन्न रूपों से समपर्क रखता था। इन को इस्लाम में नबी कहते हैं। जिन नबियों को ईश्वर ने स्वयं, शास्त्र या धर्म पुस्तकें प्रदान कीं उन्हें रसूल कहते हैं। मुहम्मद साहब भी इसी कड़ी का भाग थे। उनको जो धार्मिक पुस्तक प्रदान की गयी उसका नाम कुरान है। कुरान में अल्लाह के 25 अन्य नबियों का वर्णन है। स्वयं कुरान के अनुसार ईश्वर ने इन नबियों के अलावा धरती पर और भी कई नबी भेजे हैं जिनका वर्णन कुरान में नहीं है।

सभी मुसलमान ईश्वर द्वारा भेजे गये सभी नबियों की वैधता स्वीकार करते हैं और मुसलमान, मुहम्मद को ईशवर का अन्तिम नबी मानते हैं। अहमदिय्या समुदाय मुहम्मद साहब को अन्तिम नबी नहीं मानता तथापि स्वयं को इस्लाम का अनुयायी कहता है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकारा भी जाता है हालांकि कई इस्लामी राष्ट्रों में उसे मुस्लिम मानना प्रतिबंधित है। भारत के उच्चतम न्यायालय के अनुसार उनको भारत में मुसलमान माना जाता है।

धार्मिक पुस्तकें

 कुरान की एक पाण्डुलिपि में उसका प्रथम अध्याय।

मुसलमानों के लिये अल्लह् द्वारा रसूलों को प्रदान की गयी सभी धार्मिक पुस्तकें वैध हैं। मुसलमनों के अनुसार कुरान ईश्वर द्वारा मनुष्य को प्रदान की गयी अन्तिम धार्मिक पुस्तक है। कुरान में चार और पुस्तकों की चर्चा है:

  • सहूफ़ ए इब्राहीमी जो कि हजरत इब्राहीम को प्रदान की गयीं। यह अब लुप्त हो चुकी है।
  • तौरात (तोराह) जो कि हजरत मूसा को प्रदान की गयी।
  • ज़बूर जो कि दाउद को प्रदान की गयी।
  • इंजील (बाइबल) जो कि हजरत ईसा को प्रदान की गयी।

मुसलमान यह मानते हैं कि ईसाइयों और यहूदियों ने अपनी पुस्तकों के सन्दशों में बदलाव कर दिये हैं। वे इन चारों के अलावा अन्य धार्मिक पुसतकों का ईश्वरीय होने की सम्भावना से मना नहीं करते हैं।

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