ईसाई धर्म

ईसाई धर्म(अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमी[1] एकेश्वरवादी धर्म है, जिसके अनुयायी ईसाई कहलाते हैं। ईसाई धर्म के अनुयायी ईसा मसीह की शिक्षा पर चलते हैं। ईसाइयों में बहुत से समुदाय हैं जैसे कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडोक्स, एवानजिलक आदि। ईसाई धर्म के अनुसार जीव हत्या, अनावश्यक हरे पेड़ों की कटाई ,किसी को व्यर्थ आघात पहुँचाना, व्यर्थ जल बहाना, आदि पाप है। बाईबल ईसाई धर्म का धर्मग्रंथ है।
ईश्वर
ईसाई एकेश्वरवादी हैं, लेकिन वे ईश्वर को त्रीएक के रूप में समझते हैं — परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा।
परमपिता
परमपिता इस सृष्टि के रचयिता हैं और इसके शासक भी।,
ईसा मसीह
ईसा मसीह कौन थे जिन्हें आज विश्व के सबसे ज्यादा लोग पूजा करते है ?
ईसा मसीह स्वयं परमेश्वर थे जो पतन हुए (पापी) सभी मनुष्यों को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए जगत में देहधारण होकर (देह में होकर) आए थे। परमेश्वर जो आत्मा हैं एक देह में प्रगट हुए ताकि पापी मनुष्यों को नहीं परन्तु मनुष्यों के अन्दर के पापों को खत्म करें। वे इस पृथ्वी पर पहले ऐसे ईश्वर थे जो पापी, बीमार, मूर्खों और सताए हुओं का पक्ष लिया और उनके बदले में पाप की कीमत अपनी जान देकर चुकाई ताकि मनुष्य बच सकें | हमारे पापों की सजा यीशु मसीह चूका दिए इस लिए हमें पापों से क्षमा मिलती है। यह पापी मनुष्य और पवित्र परमेश्वर के मिलन का मिशन था जो प्रभु यीशु के क़ुरबानी से पूरा हुआ। एक श्रृष्टिकर्ता परमेश्वर हो कर उन्होंने पापियों को नहीं मारा परन्तु पाप का इलाज़ किया। यह बात परमेश्वर पिता का मनुष्यों के प्रति अटूट प्रेम को प्रगट करता है। परमेश्वर, शारीर में आए मनुष्यों को पाप से बचाने यह बात यीशु मसीह का परिचय है। यीशु मसीह परमेश्वर थे इसी बात पर आज का ईसाई धर्म का आधार है। उन्होंने स्वयं कहा मैं हूँ !!! ईसा मसीह (यीशु) एक यहूदी थे जो इस्राइल इजराइल के गाँव बेत्लहम में जन्मे थे (४ ईसापूर्व)। ईसाई मानते हैं कि उनकी माता मारिया (मरियम) कुवांरी (वर्जिन) थीं। ईसा उनके गर्भ में परमपिता परमेश्वर की कृपा से चमत्कारिक रूप से आये थे। ईसा के बारे में यहूदी नबियों ने भविष्यवाणी की थी कि एक मसीहा (अर्थात “राजा” या तारणहार) जन्म लेगा। कुछ लोग ये मानते हैं कि ईसा भारत भी आये थे। बाद में ईसा ने इजराइल में यहूदियों के बीच प्रेम का संदेश सुनाया और कहा कि वो ही ईश्वर के पुत्र हैं। इन बातों पर पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु भड़क उठे और उनके कहने पर इजराइल के रोमन राज्यपाल ने ईसा को क्रूस पर चढ़ कर मरने का प्राणदण्ड दे दिया। ईसाई मानते हैं कि इसके तीन दिन बाद ईसा का पुनरुत्थान हुआ या ईसा पुनर्जीवित हो गये। ईसा के उपदेश बाइबिल के नये नियम में उनके शिष्यों द्वारा रेखांकित किये गये हैं।
पवित्र आत्मा
पवित्र आत्मा त्रिएक परमेश्वर के तीसरे व्यक्तित्व हैं जिनके प्रभाव में व्यक्ति अपने अन्दर ईश्वर का अहसास करता है। ये ईसा के चर्च एवं अनुयाईयों को निर्देशित करते हैं।
बाइबिल
ईसाई धर्मग्रन्थ बाइबिल में दो भाग हैं। पहला भाग (पुराना नियम) और यहूदियों का धर्मग्रन्थ एक ही हैं। दूसरा भाग (नया नियम) ईसा के उपदेश, चमत्कार और उनके शिष्यों के काम से रिश्ता रखता है।
सम्प्रदाय
ईसाइयों के मुख्य सम्प्रदाय हैं :
रोमन कैथोलिक
रोमन कैथोलिक रोम के पोप को सर्वोच्च धर्मगुरु मानते हैं।
प्रोटेस्टेंट
प्रोटेस्टेंट किसी पोप को नहीं मानते है और इसके बजाय पवित्र बाइबल में पूरी श्रद्धा रखते हैं। मध्य युग में जनता के बाइबिल पढने के लिए नकल करना मना था। जिससे लोगो को ख्रिस्ती धर्म का उचित ज्ञान नहीं था। कुछ बिशप और पाद्रियोने इसे सच्चे ख्रिस्ती धर्म के अनुसार नहीं समझा और बाइबिल का अपनी अपनी भाषाओ में भाषान्तर करने लगे, जिसे पोप का विरोध था। उन बिशप और पाद्रियोने पोप से अलग होके एक नया सम्प्रदाय स्थापीत किया जिसे प्रोटेस्टेंट केह्ते है (जिन्होने पोप् का विरोध प्रोटेस्ट किया)।
कोपिमिईस्म
कोपिमिईस्म विद्या नकल कर्ने का अधिकार या लाइसेंस को विश्वास नहि कर्ता। इस्का शुरुआत हुआ है बाइबल का एक वाक्यांश से:नकल करो मुझे, मै जैसे क्राइस्ट को नकल करता हु
ऑर्थोडॉक्स
ऑर्थोडॉक्स रोम के पोप को नहीं मानते, पर अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के पैट्रिआर्क को मानते हैं और परम्परावादी होते हैं।