लालू का जलवा बरकरार

बिहार में 23 मार्च को राज्यसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. छह राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं, लेकिन चुनाव केवल 5 पर ही होंगे. इसकी वजह यह है कि छठी सीट का मामला फिलहाल अदालत में है. जेडीयू के बागी नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने समाप्त कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया है.

23 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. संख्या बल के आधार पर जेडीयू और आरजेडी को दो-दो सीट मिलना और बीजेपी को 1 सीट मिलना तय माना जा रहा है.

आरजेडी को राज्यसभा चुनाव में 2 सीट मिलना तो तय है लेकिन इन 2 सीटों पर पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. सबकी अपनी अपनी दावेदारी है. पार्टी के पुराने नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी और जगदानंद सिंह से लेकर महागठबंधन में शामिल हुए जीतन राम मांझी, सभी इन 2 सीटों के लिए दावेदार माने जा रहे हैं.

दूसरी तरफ 6 मई को बिहार विधान परिषद की 11 सीट भी खाली हो रही हैं. खाली होने वाली 11 सीटों पर भी आरजेडी के कौन-कौन उम्मीदवार होंगे, इसको लेकर भी जोड़-तोड़ खेल चल रहा है. ऐसे हालात में राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में आरजेडी का उम्मीदवार कौन-कौन होगा इसका फैसला आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव नहीं बल्कि जेल में बंद उनके पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव करेंगे.

लालू यादव करेंगे उम्मीदवारों का ऐलान

इसको लेकर बुधवार को पार्टी की संसदीय दल की बैठक हुई. जिसमें यह फैसला लिया गया कि राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव के लिए उम्मीदवार कौन होंगे. इसका फैसला लालू प्रसाद करेंगे. जो फिलहाल चारा घोटाले के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद रांची के बिरसा मुंडा जेल में सजा काट रहे हैं.

इस बैठक में लालू प्रसाद को पार्टी का उम्मीदवार तय करने के लिए प्राधिकृत किया गया है. इस बैठक में लिए गए फैसले के बाद यह बात स्पष्ट हो गया है कि आरजेडी को अब भी लालू प्रसाद यादव जेल से चला रहे हैं. पार्टी को लेकर कोई भी फैसला हो वह लालू प्रसाद यादव जेल से ही करते हैं.

11 मार्च को बिहार में 1 लोकसभा सीटों और 2 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. लालू ने जेल से ही ऐलान कर दिया कि तीनों सीटों पर आरजेडी चुनाव लड़ेगी लेकिन कांग्रेस के द्वारा भभुआ विधानसभा उपचुनाव लड़ने की इच्छा जताए जाने के बाद लालू ने जेल से ही कांग्रेस को इस सीट पर चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी.

यानी पार्टी की बागडोर भले ही लालू ने अपने छोटे बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हाथ में सौंप दी हो, मगर पार्टी को लेकर सारे फैसले वह अभी जेल से ही लेते हैं.

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