साहित्य
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दिल तुमसे नाराज़ बहुत है-डॉ.मानसी द्विवेदी
———गीत—— दिल तुमसे नाराज़ बहुत है, बाहर-बाहर चुप लगता है भीतर से आवाज़ बहुत है. मेरे मन की पीड़ा आख़िर…
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जै जै भारत देश
जै जै प्यारे देश हमारे, तीन लोक में सबसे न्यारे । हिमगिरी-मुकुट मनोहर धारे, जै जै सुभग सुवेश ।। जै…
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शेखसादी
किसी लेखक की सर्वप्रियता इस बात से भी देखी जाती है कि उसके वाक्य और पद कहावतों के रूप में…
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क्या कहिये…
दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या…
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वे कुछ दिन कितने सुंदर थे ?
वे कुछ दिन कितने सुंदर थे ? जब सावन घन सघन बरसते इन आँखों की छाया भर थे सुरधनु रंजित नवजलधर…
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