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लखनऊ में 18 वें कौमी किताब मेले से जगी उम्मीद की किरण,

कोरोना से उबरे तो किताबों का सहारा ढूंढते नज़र आए पाठक,


उर्दू अकादमी की किताबों पर भारी डिस्काउंट पाकर खरीदार खुश नज़र आए,

लखनऊ (तबस्सुम फारूकी)

कोरोना महामारी ने यूं तो हम सभी को काफी दिनों से घरों में दुबकने पर मजबूर कर रखा है ,मगर अब जिन्दगी रफ्ता रफ्ता मामूल पर नज़र आती दिखाई दे रही है। इस बात का गवाह बना लखनऊ के मोती महल लॉन में 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलने वाला किताब मेला । यहां पाठकों की आमद, न सिर्फ प्रकाशकों की आमदनी की वजह बनी बल्कि लाकडाऊन से पैदा हुई खामोशी के माहौल को खुशगवार बनाने के मौके तलाश करते भी लोग नज़र आए।

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत इस बार किताब मेले का आयोजन किया गया । किताबों के शौकीन लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के सटॉल लगाए गए , 40 से अधिक प्रकाशकों के स्टाल्स समेत तकरीबन 150 स्टॉल्स में सभी उम्र और सभी फील्ड के लिए किताबें मौजूद रहीं।

इस मेले में राजकमल, वाणी प्रकाशन , निखिल पब्लिशर्स, केंद्रीय हिंदी निदेशालय ,रामकृष्ण मिशन और भी कई मशहूर Publishers की कई अहम किताबें मेले की ज़ीनत बनीं।

ज़बान व अदब के शौकीन लोगों का ख़ास ख्याल रखते हुए कौमी काउंसिल बराए फरोग़ ए उर्दू ज़बान (NCPUL)और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने भी अपने स्टाल लगाए।

उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के स्टाल पर गुफरान अंसारी मौजूद रहे,उन्होंने बताया कि 300 टाइटल की किताबों के साथ उर्दू अकादमी ने भी अपनी मौजूदगी किताब मेले में दर्ज कराई है। 40 फीसद तक का डिस्काउंट पाकर खरीदार भी खुश नज़र आए। सलेबस की किताबों के साथ ही गालिब और मीर से लेकर जदीद शोअरा के कलाम का मजमूआ भी यहाँ देखने को मिला।

प्रोफेसर कमर रईस, सागर खैयामी , सालिक लखनवी , मलिकजादा मंजूर अहमद जैसी शख्सियत पर किताबें देखने को मिलीं। शोअरा की जीवनी पढ़नी हो या उनकी शायरी से लुत्फ़ अंदोज़ होना हो,उर्दू अकादमी के स्टाल पर सभी कुछ मौजूद है ।
मौलाना अबुल कलाम आजाद की मशहूर किताब अल-हिलाल जो की थी तीन जिल्द पर मबनी है ,वह भी यहाँ मौजूद रही। मुकदमा शेरो शायरी,सब रस, फिरोज़ुलालुग़ात जैसी तारीखी किताबें भी यहाँ देखने को मिलीं। उर्दू अकादमी ने 40 फीसद तक का डिस्काउंट दे कर पाठकों को अपनी तरफ आकर्षित किया। उर्दू अकादमी के सेक्रेटरी आईएएस जुहैर बिन सगीर के प्रयासों से उर्दू हल्कों में एक उम्मीद की किरण पैदा हुई है। लोगों का मानना है कि उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के जरिए एक बार फिर जबान व अदब के क्षेत्र में सरगर्मियां बढ़ रही हैं।

NCPUL के मुलाज़िम गुलाम जिलानी ने बताया कि कोर्स में शामिल किताबों के साथ ही , उर्दू जबान और शायरी को पढ़ने और सीखने के लिए भी लोगों ने किताबों की खरीदारी की।
गोपीचंद नारंग की “लेट्स लर्न उर्दू” और शकील हसन शम्सी की किताब “तलफ्फुज़” नए लोगों के बीच काफी पसंद की गई।
एनसीपीयूएल ने तकरीबन 13OO टाइटिल की किताबों का कलेक्शन पेश किया और 75 फीसद तक का डिस्काउंट दे कर शायकीन को अपनी तरफ आकर्षित किया। नादिर व नायाब किताबों के साथ ही आम लोगों की भी पसंद के मुताबिक किताबों की कई वैराईटी पेश की गई । बच्चों की दुनिया,ख्वातीन की दुनिया और उर्दू दुनिया जैसी कई किताबें काफी पसंद की गईं ।

 

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