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UP:योगी सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने पर लगाई रोक

प्रयागराज:

17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी सरकार की फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले पर प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह से हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि- केंद्र व राज्य सरकारों को बदलाव का अधिकार नहीं। सिर्फ संसद ही एससी/एसटी जाति में बदलाव कर सकती है।

दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर सोमवार को जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार के फैसले को गलत मानते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को इसका संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है।

लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश सरकार ने 24 जून को 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी किया था। इन 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, वाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआरा शामिल हैं।

पहले भी सपा व बसपा ने की थी कोशिश

  • योगी सरकार से पहले सपा और बसपा ने भी 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने का आदेश जारी किया था। साल 2005 में मुलायम सिंह ने इन जातियों को एससी में शामिल करने का आदेश जारी किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
  • इसके बाद 2007 में मायावती ने इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था, लेकिन केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया।
  • साल 2016 में अखिलेश यादव की कैबिनेट ने 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अखिलेश ने केंद्र को नोटिफिकेशन भेजकर अधिसूचना जारी की थी। मामला केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में जाकर अटक गया था।
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