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तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने उठाई आपत्ति

नई दिल्ली
बहुचर्चित तीन तलाक बिल को शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया। विपक्ष के हंगामे के बीच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल को पेश करते हुए कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया। ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ एक ही बार में तीन बार तलाक कहने (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के लिए है। नए बिल को ध्वनि मत से चर्चा के लिए स्वीकार किए जाने पर विपक्ष की आपत्ति के बाद इसे पेश किए जाने को लेकर वोटिंग हुई।

सदन का काम कानून बनाना, इसे अदालत न बनाएं: प्रसाद
बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से पारित किया, राज्यसभा में पेंडिंग था। चूंकि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया तो नई लोकसभा में संविधान की प्रक्रिया के तहत नए सिरे से नया बिल लाए हैं। कानून पर बहस और उसकी व्याख्या अदालत में होती है, लोकसभा को अदालत मत बनाएं।’

यह नारी की गरिमा और न्याय से जुड़ा है: प्रसाद
विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।

कानून मंत्री ने बताया, क्यों जरूरी है बिल 
रविशंकर प्रसाद बिल की जरूरत को बताते हुए कहा, ’70 साल बाद क्या संसद को नहीं सोचना चाहिए कि 3 तलाक से पीड़ित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही हैं तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए। 2017 से 543 केस तीन तलाक के आए, 239 तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए। अध्यादेश के बाद भी 31 मामले सामने आए। इसीलिए हमारी सरकार महिलाओं के सम्मान और गरिमा के साथ है।’ बता दें कि मोदी सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में 2 बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था क्योंकि यह राज्यसभा से पारित नहीं हो सका था।

कांग्रेस ने किया तीन तलाक बिल का विरोध
कांग्रेस ने तीन तलाक बिल पेश किए जाने का विरोध किया। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का यह कहकर विरोध किया कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है। थरूर ने कहा, ‘मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। तीन तलाक को आपराधिक बनाने का विरोध करता हूं। मुस्लिम समुदाय ही क्यों, किसी भी समुदाय की महिला को अगर पति छोड़ता है तो उसे आपराधिक क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम पतियों को सजा के दायरे में लाना गलत है। यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।’

ओवैसी ने बिल को महिलाओं के हितों के खिलाफ बताया
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया। ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। AIMIM सांसद ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार में तीन तलाक से शादी खत्म नहीं हो सकती। अगर किसी नॉन-मुस्लिम पति पर केस हो तो उसे एक साल की सजा, लेकिन मुस्लिम पति को 3 साल की सजा। यह भेदभाव संविधान के खिलाफ है। यह महिलाओं के हितों के खिलाफ है।’ ओवैसी ने सवाल किया कि अगर पति जेल में रहा तो महिलाओं को मैंटिनंस कौन देगा? क्या सरकार देगी।

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