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मोदी सरकार ने उठाया बङा कदम.

देश में ही मिल सकते हैं तेल एवं गैस के बड़े भंडार.

भारत में पेट्रोलियम और गैस की काफी खपत है और देश की जरूरतों की करीब आधी प्राकृतिक गैस का आयात करना पड़ता है. ऐसे में मोदी सरकार ने देश में शेल गैस एवं तेल भंडार की खोज का काम तेज करने की योजना बनाई है. समाचार एजेंसी रायटर्स ने उद्योग जगत के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि संबंधित कंपनियों से इसके बारे में योजना पेश करने को कहा गया है.

साल 2013 में भारत ने शेल गैस एवं तेल भंडारों में अन्वेषण का अधिकार तेल एवं प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपा था. लेकिन कई साल तक अन्वेषण कार्य करने के बाद कुछ खास नहीं मिल पाया. सूत्रों के मुताबिक जनवरी में भारत के तेल एवं गैस नियामक हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (DGH) ने विभिन्न निजी और सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनसे अनुरोध किया था कि वे अपने पास मौजूद तेल एवं गैस ब्लॉक में शेल संसाधनों के दोहन के काम को आगे बढ़ाएं. इस बैठक में शामिल एक एग्जीक्यूटिव ने बताया, ‘सरकार की सोच यह है कि शेल संसाधन को भारत के नक्शे पर लाया जाए. जनवरी में होने वाली इस बैठक में कोल बेड मीथेन (CBM) के विकास में लगे सभी डेवलपर्स को बुलाया गया था.’

भारत एक गैस की कमी वाला देश है और सालाना गैस खपत का करीब आधा हिस्सा आयात किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि देश में गैस आधारित अर्थव्यवस्था हो और देश के ऊर्जा खपत में गैस का हिस्सा मौजूदा 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी कर दिया जाए.

कंपनी एग्जीक्यूटिव ने समाचार एजेंसी को बताया, ‘एक संयुक्त ग्रुप प्लान बनाने की कोशिश की जा रही है जो जानकारी और बुनियादी ढांचे के लिए एक प्लेटफॉर्म की तरह काम करेगा और शेल गैस अन्वेषण काम को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.’

फिलहाल गैस का उत्पादन भारत में तीन कंपनियों द्वारा किया जाता है- मुकेश अंबानी के नेृतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज, रुइया ब्रदर्स की एस्सार ऑयल ऐंड गैस एक्स्पलोरेशन ऐंड प्रोडक्शन लिमिटेड तथा ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉर्प लिमिटेड.

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