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पाकिस्तान एटमी हथियार के मामले में तीसरी सबसे बड़ी ताकत
मिकलेफ ने पाकिस्तान के इस कदम से अपने लेख में सभी देशों को आगाह किया है

पाकिस्तान के पास जल्द ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एटमी जखीरा होगा। सैन्य इतिहास और वैश्विक मामलों के जानकार जोसेफ वी मिकलेफ के हवाले से ये दावा किया है।
इसका कम ताकत वाले एटमी हथियारों की तैनाती का फैसला दक्षिण एशियाई देशों की स्थिरता को खतरे में डालने वाला है। मिकलेफ ने पाकिस्तान के इस कदम से अपने लेख में सभी देशों को आगाह किया है। मिकलेफ का मानना है कि अगर पाकिस्तान इस ओर लगातार बढ़ता है, तो एटमी हथियार जिहादी और आतंकी संगठनों के हाथ लग सकता है.
मिकलेफ अपने लेख में लिखते हैं कि पाकिस्तान का तालिबान, तहरीक ए जिहाद इस्लामी, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों से रिश्ता रहा है. यही नहीं अलकायदा समर्थित अंसार गजवत उल हिंद का नाम भी भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने में आता रहा है.
मिकलेफ ने इस बात पर चिंता जताई है कि पाकिस्तान बीते 48 सालों से लगातार गुपचुप तरीके से एटमी हथियार बना रहा है. लेखक
का कहना है कि पाकिस्तान और दुनिया के दूसरे हिस्सों में इन हथियारों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
जोसेफ का कहना है कि चीन मिसाइल बनाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है. सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान के पास इस वक्त 140 से 150 एटमी हथियार हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान एटमी हथियार बनाने के लिए 3 से 4 हजार किलो संवर्धित यूरेनियम और 200 से 300 किलो तक प्लूटोनियम का भंडार कर सकता है।


