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रोहिंग्या मामला:म्यंमार के मंत्री करेंगे बांग्लादेश में राहत कैम्पों का दौरा

बांग्लादेश-
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की कि म्यांमार के समाज कल्याण, राहत एवं पुनर्वास मंत्री विन म्यात आय शिविरों का दौरा करेंगे जहां कुल 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं
म्यंमार सरकार के एक मंत्री बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के शिविरों का दौरा करेंगे. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. म्यांमार की सेना की ओर से करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को अपने देश की सीमा से बाहर करने के बाद यह पहला ऐसा दौरा है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की कि म्यांमार के समाज कल्याण, राहत एवं पुनर्वास मंत्री विन म्यात आय शिविरों का दौरा करेंगे जहां कुल 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं. विदेश मंत्रालय में महानिदेशक तारिक मुहम्मद ने एएफपी से कहा, ‘‘ उनका कार्यक्रम अभी तय नहीं है.’’ म्यांमार के मंत्री का दौरा 11 या 12 अप्रैल को होने वाला है.
म्यांमार मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिवेदक ने बीते 1 फरवरी को इन आरोपों को फिर दोहराया था कि ‘म्यांमार की सेना द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या नरसंहार की बानगी है.’ समाचार एंजेसी एफे के मुताबिक, सियोल में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यांगी ली ने इस संकट पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश और क्षेत्र के अन्य हिस्सों में शरणार्थी शिविरों का दौरा करने के अनुभव को बताया. पिछले साल 25 अगस्त को विद्रोहियों द्वारा सरकारी चौकियों पर हमला किए जाने के जवाब में म्यांमार की सेना द्वारा शुरू किए गए आक्रामक अभियान के चलते रखाइन प्रांत से कम से कम 688,000 रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश पलायन कर चुके हैं. ली ने कहा, “म्यांमार की कार्रवाई मानवता के खिलाफ अपराध जैसी थी.” उन्होंने कहा, “ये नरसंहार की बानगी का हिस्सा हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 25 अगस्त के बाद से लगभग 6,55,500 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में प्रवेश कर चुके हैं, जबकि 5,00,000 रोहिंग्या वहां पहले से ही रह रहे हैं. बांग्लादेश में हाल में हुई हिंसा से पहले प्रवासी विभाग ने 30,000 रोहिंग्याओं को शरणार्थी के तौर पर मान्यता दी थी. म्यांमार और बांग्लादेश सरकार में रोहिंग्याओं के देश प्रत्यावर्तन पर एक समझौता हुआ है. इसके तहत म्यांमार इस समझौते की शुरुआत के दिन से दो वर्ष के अन्दर सभी रोहिंग्याओं का बांग्लादेश से प्रत्यावर्तन हो जाएगा.
म्यांमार में रोहिंग्या मुससमानों के गढ़ रखाइन प्रांत में रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा सैन्य चौकियों पर हमला करने के बाद सुरक्षा बलों ने अगस्त 2017 के अन्तिम सप्ताह में जबाबी कार्रवाई के तहत रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था. इसके बाद रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार से पलायन शुरू कर दिया. रखाइन प्रांत में लगभग 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान रह रहे थे, जिन्हें म्यांमार सरकार ने मान्यता नहीं दी थी. संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठन बोल चुके हैं कि म्यांमार में मानवाधिकारों के हनन के स्पष्ट सबूत मिले हैं. संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इस सैन्य अभियान को जातीय संहार करार देते हुए इसे नरसंहार का संकेत बताया था.


