दुनियाब्रेकिंग न्यूज़

चीन को लेकर नरम हुए दलाई लामा के तेवर, कहा- चीन के साथ रह सकता है तिब्बत,

लामा ने अपनी घर वापसी की भी इच्छा जताई ,

बीजिंग-

तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के चीन को लेकर तेवर बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि तिब्बत उसी तरह चीन के साथ रह सकता है, जैसे यूरोपीय यूनियन के देश एक साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने होमलैंड के लिए स्वतंत्रता नहीं स्वायत्ता मांग रहे हैँ। इसके साथ 1959 से निर्वासन काट रहे लामा ने अपनी घर वापसी की भी इच्छा जताई है।
– वॉशिंगटन डीसी बेस्ड एक ग्रुप की 30वीं एनिवर्सरी पर दलाई लामा ने एक वीडियो मैसेज में कहा, ”आपने देखा होगा कि मैं हमेशा यूरोपियन यूनियन की भावना की तारीफ करता हूं।’
– उन्होंने कहा, ”स्वहित से बेहतर राष्ट्रहित है। इस विचार और धारणा के साथ मैं हमेशा चीन के साथ ही रहने का इच्छुक हूं।”

– दलाई लामा ने कहा कि वो चीन से आजादी नहीं चाहते हैं, लेकिन स्वायत्ता चाहते हैं। उन्होंने इस दौरान वापस तिब्बत लौटने की इच्छा भी जताई।
– लामा ने 1959 में तिब्बत छोड़ दिया था और भारत में शरण ले ली थी। तब से लेकर अब तक वो निर्वासन का ही जीवन जी रहे हैं।
– बता दें कि 1950 के दशक से दलाई लामा और चीन के बीच शुरू हुआ विवाद अब तक खत्म नहीं हुआ है और चीन दलाई लामा को खतरनाक अलगाववादी मानता है।

‘तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा’
चीन का कहना है कि तिब्बत सदियों से उसका अभिन्न हिस्सा है। चीन का यह भी कहना है कि तिब्बत पर उसके शासन के चलते दासप्रथा का खत्मा हुआ। इतना ही नहीं, इस पिछड़े इलाके में खुशहाली और समृद्धि आई है। चीन का कहना है कि वो तिब्बतियों के अधिकारों का सम्मान करता है।

क्यों छोड़ना पड़ा था देश?
चीन की सेना ने 1950 में ही तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इस दौरान चीन ने तिब्बत में जबरदस्त कत्लेआम मचाया था। इसके 9 साल बाद तिब्बत में चीन सरकार के खिलाफ क्रांति की कोशिश हुई, लेकिन नाकाम साबित हुई। इसके बाद दलाई लामा को 1959 में तिब्बत छोड़ना पड़ा था। उन्होंने भारत में शरण ली और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार स्थापित की।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker