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बाबरी मस्जिद केस में SC ने सभी हस्तक्षेप याचिकाएं कीं खारिज, 23 मार्च को होगी अगली सुनवाई

न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने की सुनवाई

नई दिल्ली- सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया है कि राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सिर्फ मूल पक्षकारों को ही सुनने और असम्बद्ध व्यक्तियों के इसमें हस्तक्षेप करने के अनुरोधको अस्वीकार करने का आग्रह स्वीकार किया। न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने के मौलिक अधिकार को लागू करने के लिए स्वामी की निष्पादित याचिका बहाल करने का आदेश दिया।
वहीं सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की ओर से पेश हुए राजीव धवन ने एक बार फिर मामले को पांच जजों की बेंच को सौंपने की मांग की..उन्होंने पुराने फैसले में खामियों का जिक्र किया जिसमें कहा था कि इस्लाम धर्म के पालन करने के लिए मस्ज़िद ज़रूरी नही है..धवन ने कहा-एक मुस्लिम और मस्जिद के रिश्ते को नए सिरे से परिभाषित करने की ज़रूरत है,राजीव धवन ने कहा कि ख़ुद से ये सवाल पूछता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद , भी मस्जिद के अंदर मुसलमानों के पूजा के अधिकार को बहाल क्यों नही किया गया..मस्जिद के अंदर एक मुसलमान को इबादत का अधिकार इस्लामिक आस्था का मूल हिस्सा है।

इसके साथ ही न्यायालय ने मालिकानाहक विवाद के इस मामले में हस्तक्षेप के लिए भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी की अर्जी भी अस्वीकार की। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में हस्तक्षेप के लिए सभी अंतरिम अर्जियां अस्वीकार कीं। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने तीनों हस्तक्षेप याचिकाओं को नामंजूर कर दिया। पीठ के अन्य 2 सदस्यों में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं।

न्यायालय ने कहा कि पंजीयक इस मामले में कोई भी हस्तक्षेप याचिका स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ‘मेरे मौलिक अधिकार मेरे संपत्ति के अधिकारों की तुलना में अधिक हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की अगली सुनवाई 23 मार्च को 2 बजे निर्धारित की है।

 

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